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लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन भाग 22

,                 मेरा बाप  मेरा दुश्मन  (भाग 22)


           अब तक के भागौ में आपने पढ़ा  कि तान्या व विशाल ने भागकर  विवाह किया जिससे दुःखी होकर  तान्या के मम्मी पापा ने जहर खाकर  आत्महत्या करली। जब यह खबर  तान्या को मिली वह टेन्शन में आगई  और उसको ट्यूमर होगया।  तान्या की लम्बी बीमारी से मौत के बाद रमला की परवरिशके लिए  विशाल सारिका से शादी कर लेता है।

        सारिका की सहेली सलौनी रमला की सुन्दरता देखकर  उससे पैसा कमाने का लालच सारिका। को देती है। सारिका व सलौनी विक्रम  के द्वारा रमला को प्यार के जाल में फसवाते हैं। रमला उस जाल में फसकर भी सतर्क रहती है। अब रमला विक्रम   से जिद करने लगी की वह अपने मम्नी पापा से मिलबाऐ इसके बाद सलौनी ने एक गरीब बुजुर्ग दम्पत्ति को लालच देकर  विक्रम  के नकली मम्मी पापा बनाकर मिलवा  दिया ।आगे की कहानी इस भाग में पढ़िए। 

          अब रमला के दिमाग की बत्ती जलने लगी। और वह सोचने लगी कुछ दाल में काला जरूर है। रमला को विक्रम के पापा का बात करने का तरीका बहुत बुरा लगा।

      रमला ने विक्रम से इस बिषय में कोई बात नहीं की वह  इसकी गहराई तक पहुँचकर यह जानना चाहती थी कि उससे जो होटल में मिले थे वह कौन थे। यदि वह कोई और थे तब  विक्रम ने उससे इतना बडा़ झूठ क्यौ बोला।

  विक्रम के साथ सलौनी क्यौ आई थी। कहीं ये सब मिल कर  कोई बडा़ खेल तो नहीं खेल रहे हैं। रमला का दिमाग  हर पहलू पर सोचने की कोशिश कर रहा था।

            इस सारे राज अब विक्रम के मम्मी पापा से ही मालूम किया जासकता है। यही सोचकर रमला ने  उसके पापा से बात करनी चाही।  उसने उनका नम्बर  लिया ही था।

        रमला को उस रात नींद नहीं आरही थी वह बार बार विक्रम के झूँठ पर सोच रही थी।

     रमला ने दूसरे दिन  विक्रम के पापा से आवाज बदलकर बात की।

रमला=" हेल्लो मै विक्रम की दोस्त बोल रही हूँ। क्या आप विक्रम के पापा बोल रहे हो ?"

विक्रम के पापा= हाँ मै विक्रम का पापा बोल रहा हूँ  ।

रमला= " दो तीन दिन पहले विक्रम ने मुझे आप दौनौ से होटल में मिलवाया था। "

विक्रम के पापा=  देखो तुम जो भी बोल रही हो मुझे इससे कोई मतलब नहीं है।   तुम लड़कियौ का यही काम है कि अमीर घरानौ के लड़को को  फसाकर उनसे शादी करके उनकी सम्पत्ति की मालकिन बनने के सपने देखती है।"

रमला= "मै आपके बेटे को नही फसा रही हूँ मैने तो आपको  यह जानने के लिए फौन किया था कि आप मेरे से होटल में मिले थे अथवा नहीं।"

विक्रम के पापा= "मेंने कितनी बार कहा है कि मै तुमसे नही मिला हूँ  और कुछ यह कहकर उन्हौने फौन डिसकनैक्ट कर दिया।"

         रमला अब सब समझ गयी थी कि वह बहुत बडी। साजिस का शिकार हो चुकी है। और अब इससे निकलना आवश्यक है।
    रमला अब हर कदम बहुत ही सम्भल कर  रखने लगी थी। रमला ने अब अपनी सौतेली माँ की जासूसी करना शुरू करदी ।

     रमला अब सारिका की हर तरह की जानकारी रखना चाहती थी।

         रमला की कालेज की छुट्टिया होगयी थी जिससे अब वह अधिकतर घर पर ही रहती थी। उसने सारिका की जासूसी का काम तेज कर दिया।

     सारिका का बेटा आकृत जिस स्कूल में पढ़ता था उस स्कूल से आकृत को लेने सारिका हर रोज घर से बारह बजे ही चली जाती थी ।और वह घर वापिस तीन बजे के बाद आती थी।

      रमला ने एक दिन आकृत को ही पूछ लिया कि तेरी छुट्टी कितने बजे होती है तब उसने बताया ढाई बजे । अब रमला को सारिका पर शक होगया कि यह दो घन्टे कहा़ रहती है।

       सारिका अपनी स्कूटी से  आकृत को लेने जाती थी। एक दिन जैसे ही सारिका अपने बेटे को लेने निकली बैसे ही रमला औटौ करके उसका पीछा करने लगी ।

     रमला ने जब देखा कि वह सलौनी के घर की तरफ जारही है उसे बहुत आश्चर्य हुआ। रमला सोचने लगी कि विक्रम सलौनी व सारिका तीनौ मिलकर उसके साथ कोई खतरनाक खेल तो नहीं खेल रहे है।

      जैसे ही सारिका स्कूटी खडी़ करके  सलौनी के घर में अन्दर गयी उसी समय रमला ने अपना औटो रुकवाकर अपने मोबाइल से स्कूटी का फौटो  खींच लिया और वहाँ से चली आई।

        उधर विक्रम के पापा को रमला से फौन पर दो बार  बात  होजाने के बाद कुछ सन्देह हुआ। और उन्हौने एक दिन विक्रमत्रको अपने पास बिठाकर पूछा," विक्की यह रमला कौन है ?"

रमला का नाम सुनकर विक्रम  के चेहरे पर चिन्ता की रेखाऐं दिखाई देने लगी।   परन्तु विक्रम सम्भल कर बोला  ," बिमला ! कौन बिमला ? मै किसी को नही जानता हूँ क्या हुआ बिमला को ?

विक्रम के पापा बोले," बिमला नही रमला ! पागल मत बन मै रमला बोल रहा हूँ।

विक्रम= मैने तो यह नाम ही आज पहली बार सुना है मै नहीं जानता यह रमला कौन है?   क्या किया उसने ? "

तब उसके पापा ने पूरी घटना बताई कि मैने एक दिन तुझे फौन किया था तब तेरा फौन उसने अटैन्ड किया था। फिर रान्ग नम्बर बोलकर काट दिया  आज उसका फौन आया था और पूछ रही थी कि आप वही हो जो मुझसे विक्रम के साथ होटल में मिले थे।

       विक्रम बोला," पापाजी  आपका फौन गलत नम्बर पर लग गया होगा फिर उसने दुबारा आपसे कोई जालसाजी के लिए  फौन किया होगा आजकल बहुत फ्राड चल रहा है  ।  "

वह अपने पापा को समझाता हुआ बोला," मेरे दोस्त के पापा के फौन पर ऐसे ही अनजान नम्बर से काल आई और कुछ पूछा उनके बताते ही उनके खाते से पैसे कट गये। इस लिए ऐसे नम्बर की काल मत अटैन्ड किया करो।"

      इस तरह उसने अपने पापा को समझा कर उनका सन्देह दूर किया। और फिर पापा के फौन को लेकर देखने लगा।और उसने चालाकी से काल लौग मे जाकर उस काल को डिलेट कर दिया।

                     "क्रमशः" आगे की कहानी  अगले भाग  में पढ़िए। 


कहानीकार  प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा "

   


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4 Comments

RISHITA

02-Sep-2023 09:21 AM

Nice story

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madhura

01-Sep-2023 09:53 AM

Nice

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Abhilasha Deshpande

28-Aug-2023 10:19 AM

Nice

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